बीजेपी में शामिल हो सकते हैं पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन, हेमंत सोरेन के लिए बढ़ेंगी मुश्किलें
आप देख रहे हैं जौनपुर टुडे
झारखंड में चुनाव को लेकर अब राजनीतिक चर्चे तेज हो रही हैं सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी मे लग गए हैं ऐसे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ने लगी हैं क्योकि उनकी पार्टी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से कई विधायक पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन के साथ अलग होना चाहते हैं
पूर्व मुख्यमंत्री चैंपाई सोरेन दिल्ली पहुंच चुके हैं उनके साथ झारखण्ड मुक्ति मोर्चा 6 विधायक भी हैं. पार्टी के द्वारा उनसे बात करने की कोशिश की जा रही हैं लेकिन बात नहीं हो पा रहा हैं. ऐसे में अब माना जा रहा हैं की चैंपाई सोरेन की भजपा के साथ बातचीत चल रही हैं और वह कभी भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
आपको बता दे कि वर्तमान समय में झारखण्ड में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की सरकार हैं. हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं. हेमंत सोरेन के ऊपर एड सबकी जाँच चल रही है. और इसी जाँच में हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 को जेल जाना पड़ा था जिसके बाद ऐसा माना जा रहा था कि हेमंत सोरेन की पत्नी मुख्यमंत्री बन सकती हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और चैंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री बना दिया गया
लेकिन हेमंत सोरेन को जब अभी हल के दिनों में जमानत मिला तो कोल्हान के टाइगर कहे जाने वाले चैंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया और हेमंत सोरेन एक बार पुनः मुख्यमंत्री बन गए जिसके बाद हेमंत और चैंपाई के बीच दरार पड़ने लगा
कुछ ही महीनो में झारखण्ड में होना हैं चुनाव
झारखण्ड सरकार का 2025 के शुरुआती दिनों में ही कार्यकाल ख़त्म होना हैं लिहाजा आगामी कुछ ही महीनो में चुनाव का ऐलान हो सकता हैं. ऐसे में जब हेमंत सोरेन जेल से बाहर आए तो उन्हें चाहिए था की अब जब तक कुछ दिनों का कार्यकाल बचा हैं उसे चैंपाई सोरेन को पूरा लेने दे और जब चुनाव बाद नै सरकार का गठन होगा तब अगर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा को बहुमत मिलता हैं तो हेमंत सोरेन फिर मुख्यमंत्री बन जाते लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिससे पार्टी के अंदर भी गलत सन्देश गया और एक बड़े नेता का साथ भी छूट गया
बीजेपी में शामिल होंगे चैंपाई सोरेन
चैंपाई सोरेन ये स्पष्ट कर दिया हैं की यह अब झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के साथ नहीं रहेंगे लेकिन बीजेपी में शामिल होंगे की नहीं इस बात पर अभी भी संसय बना हुआ हैं उनके उनके या तो वह एक नई पार्टी बनाएंगे या किसी विश्वाशपात्र बड़े दल में शामिल होंगे चैंपाई सोरेन झारखण्ड के कोल्हान क्षेत्र की संथाल आदिवासी नेता हैं और यह राज्य के सबसे बेदाग और शीर्ष नेताओ में शामिल हैं.
तो ऐसे में कहीं न कहीं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के लिए मुश्किल का समय हैं क्योंकि जब कोई बड़ा नेता अपनी पार्टी छोड़ता हैं तो उसके साथ छोटे नेता भी पार्टी से किनारा कर लेते हैं. और चैंपाई सोरेन का झारखण्ड के आदिवसी समाज में अच्छा प्रभाव हैं उनके ऊपर किसी प्रकार के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं हैं और वह अपने साथ साथ झारखण्ड के 10-15 विधानसभा सीटों पर जीत दिलाने का हिम्मत रखते हैं तो इस हिसाब से देखा जाए तो हेमंत सोरेन के लिए झारखण्ड विधानसभा चुनाव में कहीं न कहीं मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
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